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MON, APR 28
vivek prajapati
prajapati
जो खुद अशांत है, वो शांति की बात करता है। जो खुद बेचैन है, वो चैन दिलाने की बात करता है। जो खुद प्यासा है, वो प्यास बुझाने की बात करता है। जो खुद बंधा है, वो छुड़ाने की बात करता है। हाय रे मन, जो खुद न पा सका, वो दिलाने की बात करता है।